औषधीय पौधा – मकोय के फायदे - वनस्पति नाम - Solanum nigrum
औषधीय पौधा – मकोय
वनस्पति नाम - Solanum nigrum
मकोय
को काकमाचि,गुरूकामी
तथा अंग्रेजी में ब्लैक नाइट शेड या सन बेरी भी कहते है |
मकोय का संपूर्ण पंचांग (तना, जड़, फल, बीज तथा पत्ती) ही औषधीय प्रयोग में आता है | मकोय में रासायनिक रूप से प्रोटीन,वसा, खनीज लवण,कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम,लोहा
फास्फोरस,रिबोफ्लेविन, निकॉटिनिक अम्ल इत्यादि पाए जाते है।
मकोय का संपूर्ण पंचांग (तना, जड़, फल, बीज तथा पत्ती) ही औषधीय प्रयोग में आता है | मकोय में रासायनिक रूप से प्रोटीन,वसा, खनीज लवण,कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम,लोहा
फास्फोरस,रिबोफ्लेविन, निकॉटिनिक अम्ल इत्यादि पाए जाते है।
मकोय का उपयोग कुष्ठ रोग(सफेद दाग)में कारगर होता है,इसकी बीस से तीस ग्राम पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लेप करने से रोग का सर्वनाश होता है। मकोय खूनी बवासीर में भी लाभकारी है,इसके पत्तो का रस निकालकर सुबह शाम मस्सों पर नियमित लेप करने से खूनी बवासीर समाप्त हो जाता है। मकोय का प्रयोग बुखार में भी किया जाता है,इसका काढ़ा बनाकर सुबह शाम दो तीन दिनों तक लगातार सेवन करने से बुखार में जल्द ही राहत होता है।
मकोय चेचक रोग के उपचार में प्रभावकारी
है,चेचक रोगी को इसके पत्तो का रस पिलाने से चेचक ठीक हो
जाता है।
मकोय अनिद्रा में भी फायदेमंद है,इसके लिए मकोय की जड़ों का दस से बीस ग्राम का काढ़ा में थोड़ा गुड़ मिलाकर रात के समय पिलाने से निद्रा अच्छी तरह से आती मकोय के पत्तो का हल्का गर्म रस दो से चार बूंद कान में टपकाने से कान दर्द में लाभ होता है। मकोय के पांच से छह पत्तो को चबाने से मुंह और जीभ के छाले ठीक हो जाते है। मकोय के पत्तो के रस में घी या तेल बराबर मात्रा में मिलाकर प्रभावित दांतों पर मलने से दांत दर्द में राहत होता है।
मकोय अनिद्रा में भी फायदेमंद है,इसके लिए मकोय की जड़ों का दस से बीस ग्राम का काढ़ा में थोड़ा गुड़ मिलाकर रात के समय पिलाने से निद्रा अच्छी तरह से आती मकोय के पत्तो का हल्का गर्म रस दो से चार बूंद कान में टपकाने से कान दर्द में लाभ होता है। मकोय के पांच से छह पत्तो को चबाने से मुंह और जीभ के छाले ठीक हो जाते है। मकोय के पत्तो के रस में घी या तेल बराबर मात्रा में मिलाकर प्रभावित दांतों पर मलने से दांत दर्द में राहत होता है।
मकोय हृदय
रोग में भी लाभकारी है, इसके पत्तो, फल और तनो का रस निकालकर दो से आठ एमएल तक की मात्रा दिन में दो या तीन
बार प्रयोग करने से सभी प्रकार के हृदय रोग का नाश होता है।
मकोय का काढ़ा पचास से साठ एमएल में दो ग्राम पीपल का चूर्ण डालकर सुबह शाम भोजन के बाद पिलाने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। मकोय का उपयोग पीलिया (जौंडिस) रोग के उपचार में भी किया जाता है | इसका चालीस से साठ ग्राम काढ़ा में हल्दी दो से पांच ग्राम चूर्ण मिलाकर प्रयोग करने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
मकोय सभी प्रकार के सुजन के लिए एक उत्तम औषधी है,मकोय के फलों का पेस्ट बनाकर सुजन पर लेप करने से काफी लाभ होता है। मकोय का रस चूहे के विष में भी उत्तम औषधी है,मकोय का ताजा रस निकालकर लेप करने से चूहे का विष शीघ्र ही उतर जाता है।
मकोय का काढ़ा पचास से साठ एमएल में दो ग्राम पीपल का चूर्ण डालकर सुबह शाम भोजन के बाद पिलाने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। मकोय का उपयोग पीलिया (जौंडिस) रोग के उपचार में भी किया जाता है | इसका चालीस से साठ ग्राम काढ़ा में हल्दी दो से पांच ग्राम चूर्ण मिलाकर प्रयोग करने से पीलिया रोग समाप्त हो जाता है।
मकोय सभी प्रकार के सुजन के लिए एक उत्तम औषधी है,मकोय के फलों का पेस्ट बनाकर सुजन पर लेप करने से काफी लाभ होता है। मकोय का रस चूहे के विष में भी उत्तम औषधी है,मकोय का ताजा रस निकालकर लेप करने से चूहे का विष शीघ्र ही उतर जाता है।
मकोय के पत्ते और कोमल तना का प्रयोग
साग के रूप में भी किया जा सकता है,तथा पका हुआ फल को खाया
भी जा सकता है।
इस प्रकार मकोय एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसे हम लोग खरपतवार समझकर उखाड़ फेकते है,अगर हम
इसके गुण धर्म को जाने तो हमलोग इसका औषधीय लाभ ले सकते है |
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