औषधीय पौधा – दूब के फायदे - वानस्पतिक नाम - Cynodon dactylon
औषधीय पौधा – दूब
वानस्पतिक नाम - Cynodon dactylon
दूब में अनेक औषधीय गुणों की मौजूदगी के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधी कहा गया है। दूब की जड़े,तना तथा पत्तियां सभी में औषधीय गुण पाए जाते है। दूब को दूर्वा भी कहते है तथा संस्कृत में अमृता,अनंता,शतपरवा, Bhargavi इत्यादि नामो से जाना जाता है। दूब का उपयोग हिन्दू संस्कारो तथा कर्म कांडो में किया जाता है।
महा
कवि तुलसीदास जी
का कहना है कि रामं दुर्वादल श्यामं पद्माक्षं पीतवाससा,अर्थात जो भी हमारे स्वास्थय के
लिए लाभकारी है, उसे धर्म से जोड़ दिया गया है। दूब से बनी ही वो रोटी थी जो
महाराणा प्रताप ने वनो में भटकते हुए खाई थी।
दूब को त्रिदोष नाशक अर्थात कफ, वात एवम् पित्त जैसे समस्त विकारों को नष्ट करने वाला कहा गया है। दूब में रासायनिक रूप से प्रोटीन, कारबोहाइड्रेट,पोटैसियम,सोडियम,मैग्नेशियम,विटा ए, विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते है। दूब पर सुबह के समय नंगे पैर चलने से नेत्र की ज्योति बढ़ती है तथा अनेक विकार शांत हो जाते है। दूब घास के रस को हरा रक्त कहा जाता है,अतः इसके सेवन से एनीमिया(रक्त की कमी)का रोग ठीक हो जाता है।
दूब का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते है।
दूब के रस का सेवन रक्त स्राव तथा गर्भपात को रोककर गर्भाशय और गर्भ को शक्ति प्रदान करती है। दूब के रस को तेल में पकाकर लगाने से दाद,खाज़,खुजली मिट जाती है। दूब के रस में ग्लूकोज के स्तर को कम करने की क्षमता होती है,अतः दूब का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए काफी लाभदायक होता है,इसके लिए दस ग्राम ताजी दूब को छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर उबालकर छानकर खाली पेट सेवन करने से मधुमेह हद तक नियंत्रित रहती है।
दूब को त्रिदोष नाशक अर्थात कफ, वात एवम् पित्त जैसे समस्त विकारों को नष्ट करने वाला कहा गया है। दूब में रासायनिक रूप से प्रोटीन, कारबोहाइड्रेट,पोटैसियम,सोडियम,मैग्नेशियम,विटा ए, विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते है। दूब पर सुबह के समय नंगे पैर चलने से नेत्र की ज्योति बढ़ती है तथा अनेक विकार शांत हो जाते है। दूब घास के रस को हरा रक्त कहा जाता है,अतः इसके सेवन से एनीमिया(रक्त की कमी)का रोग ठीक हो जाता है।
दूब का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते है।
दूब के रस का सेवन रक्त स्राव तथा गर्भपात को रोककर गर्भाशय और गर्भ को शक्ति प्रदान करती है। दूब के रस को तेल में पकाकर लगाने से दाद,खाज़,खुजली मिट जाती है। दूब के रस में ग्लूकोज के स्तर को कम करने की क्षमता होती है,अतः दूब का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए काफी लाभदायक होता है,इसके लिए दस ग्राम ताजी दूब को छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर उबालकर छानकर खाली पेट सेवन करने से मधुमेह हद तक नियंत्रित रहती है।
दूब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक होता है,क्योंकि इसमें एंटी वायरल तथा एंटी माइक्रोबियल गुण होने के कारण यह शरीर को किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। दूब महिलाओं में प्रोलेक्टिन हार्मोन को बढ़ाने में मदद करता है,अतः जो महिलाएं बच्चे को दूध पिला रही है,उनके लिए लाभकारी होता है। दूब का नियमित सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ने के साथ साथ कब्ज तथा एसिडिटी से राहत होता है। दूब घास फ्लेवनॉयड्स का मुख्य स्रोत है अतः यह अल्सर रोग को रोकने में भी कारगर होता है।
दूब का सेवन सर्दी,खांसी,एवम्
कफ विकारों को समाप्त करने में भी सहायक होता है। दूब के सेवन से मसूड़ों से रक्त
बहना,मूंह
से दुर्गंध निकलने या पायरिया जैसी समस्या से भी राहत होता है।दूब में एंटी
इन्फ्लेमेटरी तथा एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण किसी प्रकार के सुजन या त्वचा
संबंधी रोग जैसे दाद,खाज़,खुजली एक्जिमा आदि समस्या से राहत
दिलाता है,इसके लिए दूब को हल्दी के साथ पीसकर इसके पेस्ट को त्वचा पर लगाने से
समस्याओं का निदान होता है। दूब रक्त शोधक का भी काम करता है,साथ ही लाल रक्त कणिकाओं को
बढ़ाने में भी मदद करता है,जिसके कारण हीमोग्लोबिन का स्तर
बढ़ता है। दूब के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का
स्तर नियंत्रित रहता है,तथा
हृदय को मजबूती प्रदान करता है। दूब के रस में पिसा हुआ नागकेसर और छोटी इलायची मिलाकर
सूर्योदय से पहले छोटे बच्चो को देने से उनमें तन्दरूस्ती आती है | दूब में अनेक पौष्टिक गुण होने
के कारण यह शरीर को सक्रिय और ऊर्जावान बनाता है,साथ ही यह
अनिद्रा,थकान,तथा तनाव जैसे कष्टों को
भी दूर करता है।
दूब को पीसकर सिर दर्द में चंदन की तरह लेप लगाने पर काफी आराम मिलता है। दूब में कामशक्ति घटाने के गुण होने के कारण साधु, सन्यासी इसका सेवन करते है,इससे वीर्य की कमी होती है।
दूब का सेवन लगभग दस ग्राम घास को पीसकर, छानकर पानी के साथ किया जा सकता है।
दूब को पीसकर सिर दर्द में चंदन की तरह लेप लगाने पर काफी आराम मिलता है। दूब में कामशक्ति घटाने के गुण होने के कारण साधु, सन्यासी इसका सेवन करते है,इससे वीर्य की कमी होती है।
दूब का सेवन लगभग दस ग्राम घास को पीसकर, छानकर पानी के साथ किया जा सकता है।
इस
प्रकार दूब एक महत्वपूर्ण औषधी पौधा है,जो हर जगह हमारे आस पास पाया जाता है,हम इसके गुण धर्म को जाने और इसका स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।
लेखक - Rajan Balan, project director, ATMA,Supaul
लेखक - Rajan Balan, project director, ATMA,Supaul
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