औषधीय पौधा – गेंदा के फायदे - वनस्पति नाम - Tagetes erecta
औषधीय पौधा – गेंदा
वनस्पति नाम - Tagetes erecta ,Tagetes patula
गेंदा
को अंग्रेजी में मेरी गोल्ड भी कहते है,जो प्रभु जीसस की मां मरियम के नाम पर रखा गया
है। इसे हजारा के नाम से भी जाना जाता है। गेंदा के फूल को गरीबों का केसर भी कहा
जाता है। गेंदे के फूल में विटा सी और
एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है। गेंदा के फूल में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाने
के कारण यह शरीर को कैंसर से लडने की शक्ति देता है। इसके लिए गेंदा के फूल या तना
या सम्पूर्ण पौधा का काढ़ा बनाकर सुबह शाम नियमित सेवन करने से कैंसर में लाभ होता
है। गेंदा के फूल का काढ़ा
बनाकर रात्रि भोजन के बाद सोने से पहले लेने पर ट्यूमर जड़ से नष्ट हो जाता है।
गेंदा का
फूल बुखार को भी समाप्त करता है, चुकीं इसके फूल में
एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते है, अतः इसके फूल
की चाय बनाकर पीने से बुखार के सभी लक्षण ठीक हो जाते है। गेंदा का फूल योनि संक्रमण को भी दूर करता
है,इसके लिए गेंदे के फूल की
पंखुड़ी का काढ़ा बनाकर इस पानी को स्नान के पानी में मिलाकर लगातार दो सप्ताह तक
स्नान करने से योनि संक्रमण समाप्त हो जाता है। गेंदा का फूल नपुंसकता को भी दूर करता है, इसके लिए इसके फूलो को सुखाकर इसके बीज
में मिश्री मिलाकर नित्य सेवन करने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है,तथा पुरुष वीर्य वर्धक हो जाता है। गेंदा का फूल श्वेत प्रदर(ल्यूको रिया) में भी लाभकारी
होता है,इसके लिए
गेंदा के फूल का रस पांच से दस ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लुकोरिया में लाभ
होता है। गेंदा के
फूलों के सेवन से पथरी को भी नष्ट किया जा सकता है,इसके लिए गेंदा के बीस से तीस ग्राम
पत्तो का काढ़ा बनाकर सुबह शाम कुछ दिनों तक सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है। गेंदा फूल के सेवन से बवासीर रोगियों को
भी लाभ होता है,इसके
लिए दस ग्राम गेंदा के पत्तो में दो ग्राम काली मिर्च पीसकर पिलाने से बवासीर में
काफी लाभ होता है,या फिर इसके पत्तो को पीसकर मस्सों पर लेप
करने से भी फायदा होता है।
गेंदा के फूल का सेवन सभी प्रकार के नेत्र रोग में लाभकारी होता है,इसके लिए गेंदा फूल की चाय का सेवन या फिर गेंदा फूल के रस से आंखो को धोया जा सकता है। गेंदा के फूल में herb soothing properties पाए जाते है,अतः त्वचा में जलन या सुजन होने पर इसके फूलो को पीसकर लेप लगाने से त्वचा संबंधी सभी विकारों का नाश होता है। गेंदा के इस्तेमाल से स्तन में होने वाले गांठ को भी ठीक किया जा सकता है,इसके लिए गेंदा के पत्तो को पीसकर स्तनों पर लगाने से गांठें बिखर जाती है,तथा सुजन ठीक हो जाता है। गेंदा का फूल श्वसन रोग से भी मुक्ति देने में कारगर होता है,इसके लिए इसके बीजों का चूर्ण दो से पांच ग्राम,दस ग्राम गुड़ और एक चमच दही के साथ दिन में तीन बार सेवन किया जाए तो श्वसन संबंधी सभी रोगों के साथ साथ दमा और खांसी भी दूर हो जाते । गेंदा के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने पर दांत के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है,साथ ही मूह की दुर्गंध भी समाप्त हो जाती है। गेंदा के पत्तो का रस दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। गेंदा के दस पत्तो को दो चमच पानी में पीसकर पांच ग्राम मिश्री मिलाकर छानकर सेवन करने से कब्ज का नाश होता है।गेंदा के फूलों का रस दाद,खाज़,खुजली में दिन में दो तीन बार लगाने से सभी कष्टों का निदान हो जाता है।
गेंदा
में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सुजन को कम करने में काफी उपयोगी होता
है,इसके लिए गेंदा की चाय बनाकर पीने या लेप लगाने से सुजन
ठीक हो जाता है,किसी प्रकार का आंतरिक सुजन होने पर भी गेंदे
का काढ़ा बनाकर पिलाने से सुजन नष्ट हो जाता है। गेंदे के पंचांग (जड़,तना,बीज,पत्ता,फूल)का रस निकालकर चोट मोच और सुजन पर लेप
करने से काफी आराम मिलता है।गेंदे के पत्तों को पीसकर फोड़े, फुंसी और घाव पर लगाने से काफी लाभ होता
है। गेंदे के फूल का प्रयोग
मुर्गियों के भोजन के रूप में भी किया जा रहा है,इसके सेवन से अंडे का रंग पीला हो जाता
है। गेंदा का सेवन गर्भवती महिलाएं एवम्
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए। गेंदा का अत्यधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कामशक्ति को घटाता है,तथा महिलाओं में फर्टिलिटी को भी कम करता है।
गेंदा का अधिक सेवन करने से एलर्जी का भी खतरा
रहता है।
इस प्रकार गेंदा एक औषधीय पौधा है,आप इसके गुण धर्म को जानकर इसका प्रयोग स्वास्थ लाभ हेतु कर सकते है।
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